भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित कलाग्राम महोत्सव में बुधवार की सांस्कृतिक संध्या बेहद खास रही। इस अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों की कला और संस्कृति की झलक देखने को मिली। प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना तेजस्वनी साठे ने अपनी मोहक प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके बाद अवध के पारंपरिक फरवाही नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति ने भी खूब तालियां बटोरी।

शिव वंदना से कथक का भव्य आरंभ
तेजस्वनी साठे ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत शिव वंदना से की, जिसमें उनकी भावपूर्ण अभिव्यक्ति और नृत्य मुद्राओं ने दर्शकों को आकर्षित किया। इसके बाद उन्होंने तीनताल में लयकारी और बनारस घराने की पारंपरिक बंदिशों का प्रदर्शन किया।
उनकी विशेष प्रस्तुति ‘सृजन’ रही, जिसमें उन्होंने नृत्य के माध्यम से जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश के तत्वों को सजीव रूप में प्रस्तुत किया। उनकी इस प्रस्तुति ने दर्शकों को कला और प्रकृति के गहरे संबंध से अवगत कराया।
अवध के फरवाही नृत्य ने मोहा मन
इसके बाद मंच पर आया अवध का पारंपरिक फरवाही नृत्य, जिसे विजय यादव एवं उनके दल ने प्रस्तुत किया। कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा (धोती, कुर्ता, बनियान) में मंच पर नृत्य किया और मंजीरा, करताल व बांसुरी की धुनों पर श्रीराम के भजन प्रस्तुत किए।
इस नृत्य की खासियत यह थी कि कलाकारों ने लाठी और डंडों पर चलकर करतब दिखाए, जिससे दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। यह नृत्य न केवल मनोरंजन का साधन था, बल्कि अवध की पारंपरिक संस्कृति की झलक भी प्रस्तुत कर रहा था।
विद्या शाह के भक्ति संगीत की सुमधुर प्रस्तुति
इसके बाद गायिका विद्या शाह ने अपने संगीत से महफिल को भक्तिमय बना दिया। उन्होंने भक्ति गीतों, ठुमरी और दादरा की प्रस्तुति दी। उनकी गहरी आवाज़ और भावनात्मक अभिव्यक्ति ने पूरे माहौल को संगीतमय कर दिया।
भारत के लोकनृत्यों की भव्य झलक
इसके अलावा, विभिन्न राज्यों के लोकनृत्यों की झलक भी देखने को मिली:
राज्य | नृत्य शैली |
---|---|
नागालैंड | मुगयान्ता नृत्य |
त्रिपुरा | मोमिता नृत्य |
अरुणाचल प्रदेश | रिखमपाड़ा नृत्य |
सिक्किम | तमांग नृत्य |
गुजरात | मेवासी नृत्य |
असम | राराकेली नृत्य |
इन नृत्यों की प्रस्तुतियों ने पूरे कार्यक्रम को एक राष्ट्रीय सांस्कृतिक समागम में बदल दिया, जहां भारत की विविधता एक मंच पर देखने को मिली।
मंच संचालन और आयोजन की भव्यता
इस भव्य आयोजन का मंच संचालन डॉ. आभा मधुर ने किया। उन्होंने अपनी आकर्षक शैली से कार्यक्रम को खूबसूरती से आगे बढ़ाया और दर्शकों को हर प्रस्तुति की विशेषताओं से अवगत कराया।
निष्कर्ष
कलाग्राम महोत्सव की यह सांस्कृतिक संध्या भारत की समृद्ध कलात्मक विरासत का एक भव्य उदाहरण थी। कथक नृत्यांगना तेजस्वनी साठे की मोहक प्रस्तुति और अवध के फरवाही नृत्य ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। लोकनृत्य और संगीत की विविधता ने इस आयोजन को और अधिक यादगार बना दिया।
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