दीपावली शिल्प मेला में सांस्कृतिक संध्या दिवारी, पाई-डंडा नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियां
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित 12 दिवसीय दीपावली शिल्प मेला सांस्कृतिक संध्या में गुरुवार की सांस्कृतिक संध्या दर्शकों के लिए अविस्मरणीय रही। विभिन्न राज्यों के कलाकारों ने अपने पारंपरिक नृत्य और लोकगीतों से समां बांध दिया।

दीपावली शिल्प मेला में सांस्कृतिक संध्या पर, हरियाणा के कलाकारों ने नगाड़े की थाप पर दी प्रस्तुति
कार्यक्रम की शुरुआत हरियाणा से आए कलाकारों ने की। नगाड़े की थाप पर रसिया गायन और नृत्य ने माहौल को जीवंत कर दिया। इस प्रस्तुति ने दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट से सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ किया।
लोकगीतों पर झूमे दर्शक
इसके बाद, बृजभान यादव एवं दल ने प्रसिद्ध लोकगीत –
- “लजाई जाला सूरज देख सुघरईया”
- “हमार बलमा जिंदगी कईसे बिताई है”
इन गीतों की प्रस्तुति ने लोगों को थिरकने पर मजबूर कर दिया। उमेश कनौजिया और उनके साथी कलाकारों ने “छलकत गगरिया मोर निरमेहिया” और “उगली अंजोरिया न ठहरे” जैसे गीतों पर पूर्वी नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अखिलेश यादव और दल ने पेश किया वीर रस से भरा पाई-डंडा नृत्य
महोबा से आए अखिलेश यादव और उनके दल ने अपनी कला से कार्यक्रम में अलग ही रंग भर दिया। ढोलक और तासे की धुन पर वीर रस से भरा दिवारी पाई-डंडा नृत्य प्रस्तुत किया गया, जिसने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। इस नृत्य में कलाकारों की कमर में बंधे घुंघरू और झालर विशेष आकर्षण का केंद्र रहे।
वरुण कुमार एवं दल ने सावन गीतों से सजाया माहौल
वरुण कुमार ने अपने दल के साथ सावन और लोकगीतों की प्रस्तुतियां दीं:
- “कैसे खेले जइबू सावन में कजरिया…”
- “हमरी बलम जी से ऐसी बिगाड़ी…”
- “मैया चलो दियाना बारे हमारे अंगना…”
इन गीतों पर दर्शकों ने खूब तालियां बजाईं और कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया।
कार्यक्रम का संचालन और समापन
सांस्कृतिक संध्या का संचालन रेनूराज सिंह ने बेहतरीन तरीके से किया, जिससे हर प्रस्तुति के बीच का तालमेल दर्शकों को जोड़े रखा। पूरे कार्यक्रम ने दर्शकों का मन मोह लिया और वे इस सांस्कृतिक उत्सव के साक्षी बनने को उत्सुक दिखे।
दीपावली शिल्प मेला में लोक कला का प्रदर्शन
यह 12 दिवसीय शिल्प मेला, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा आयोजित, न केवल शिल्पकला बल्कि लोक नृत्य और संगीत की धरोहर को भी उजागर कर रहा है। विभिन्न राज्यों के पारंपरिक कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुतियां इसे और भी खास बना रही हैं।
मुख्य आकर्षण:
- हरियाणवी रसिया नृत्य और गायन
- पूर्वी नृत्य और कटुनी नृत्य
- दिवारी पाई-डंडा नृत्य की वीर रस प्रस्तुति
- लोकगीतों पर झूमते दर्शक
इस तरह दीपावली शिल्प मेला की सांस्कृतिक संध्या ने दर्शकों के दिलों में एक यादगार छाप छोड़ी, जो भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि को दर्शाती है।
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