International Abhidhamma Day 2024:पाली को शास्त्रीय भाषा का सम्मान और PM मोदी का वैश्विक धम्म संदेश"
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में PM नरेंद्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय International Abhidhamma Day 2024 समारोह को संबोधित किया, जिसमें पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने पर विशेष जोर दिया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को प्रोत्साहित करना और भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करना था। इस समारोह में 14 देशों के भिक्षुओं, शिक्षाविदों और बुद्ध धम्म के विशेषज्ञों ने भाग लिया, जो वैश्विक स्तर पर बौद्ध संस्कृति के महत्व को दर्शाता है।

International Abhidhamma Day 2024 अभिधम्म दिवस का महत्व और पाली भाषा की मान्यता
PM मोदी ने अभिधम्म दिवस के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह भगवान बुद्ध द्वारा दिए गए धम्म और करुणा के संदेश को पुनर्जीवित करने का दिन है। पाली भाषा, जिसमें मूल रूप से बुद्ध की शिक्षाएं दर्ज हैं, को हाल ही में शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से इस वर्ष के आयोजन का महत्व और बढ़ गया है। PM मोदी ने पाली को भारत की प्राचीन धरोहर का अभिन्न हिस्सा बताते हुए कहा कि इसे संरक्षित और बढ़ावा देना हम सभी की साझा जिम्मेदारी है।
PM मोदी के International Abhidhamma Day 2024 प्रमुख संदेश और धम्म की महत्ता
PM मोदी ने International Abhidhamma Day 2024 के इस अवसर पर भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को वैश्विक शांति का मार्गदर्शक बताया। उन्होंने कहा:
• धम्म का सार मानवता और शांति का संदेश है, जो आज के अस्थिर वैश्विक माहौल में बेहद प्रासंगिक है।
• “भारत ने युद्ध नहीं, बुद्ध दिए हैं।” इस कथन के जरिए उन्होंने बौद्ध धर्म के शांति संदेश को पुन: रेखांकित किया।
• भारत की प्राचीन पाली भाषा को पुनर्जीवित करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म, ऑनलाइन अभिलेखागार, और शोध के माध्यम से प्रयास किए जा रहे हैं।
PM मोदी ने पंच प्राण दृष्टिकोण पर जोर दिया, जिसमें भारत को विकसित राष्ट्र बनाने, गुलामी की मानसिकता से मुक्त होने और सांस्कृतिक धरोहरों पर गर्व करने का आह्वान किया गया है।
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International Abhidhamma Day 2024
भारत का बौद्ध सर्किट और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
PM मोदी ने बौद्ध सर्किट से जुड़े विकास कार्यों की जानकारी साझा की, जिसमें कुशीनगर, सारनाथ और लुम्बिनी के बौद्ध स्थलों का पुनर्निर्माण और संरक्षण शामिल है। उन्होंने बताया कि कुशीनगर में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की शुरुआत और लुम्बिनी में बौद्ध अध्ययन केंद्र की स्थापना से भारत की सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान मिल रही है।
भारत और नेपाल सहित अन्य बौद्ध राष्ट्रों के साथ मिलकर धम्म का प्रचार-प्रसार करने पर भी बल दिया गया। PM मोदी ने म्यांमार, श्रीलंका और थाईलैंड के प्रयासों का उल्लेख करते हुए बताया कि ये देश पाली साहित्य और टीकाओं को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
धम्म से प्रेरित नीतियाँ और मिशन लाइफ
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति मातृभाषाओं और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रही है। उन्होंने बताया कि ग्लोबल जैव ईंधन गठबंधन, ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, और मिशन लाइफ जैसी पहलें भी भगवान बुद्ध के विचारों से प्रेरित हैं।
PM मोदी ने बुद्ध के सिद्धांतों का पालन करते हुए पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि टिकाऊ जीवनशैली अपनाने का मार्ग ही आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण करेगा।
संस्कृति और आधुनिकता का समन्वय
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का प्रयास है कि वह आधुनिक विकास के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक जड़ों को भी मजबूत बनाए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय युवा अपनी संस्कृति और मूल्यों पर गर्व करते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में दुनिया का नेतृत्व करेंगे। बौद्ध धर्म की शिक्षाएं इस प्रगति में मार्गदर्शक की भूमिका निभा रही हैं।
निष्कर्ष
PM मोदी के संबोधन ने अभिधम्म दिवस और पाली भाषा को शास्त्रीय दर्जा मिलने के महत्व को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया। उन्होंने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को न केवल भारत बल्कि वैश्विक शांति और विकास के लिए आवश्यक बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत, जो हमेशा से शांति और करुणा का वाहक रहा है, 2047 तक अमृत काल के लक्ष्य को हासिल करते हुए एक विकसित राष्ट्र के रूप में उभरेगा।
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