लोकनृत्यों की कलाग्राम में सजीव झलकियां
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कुंभ में शुक्रवार को लोकनृत्यों और संगीत की अद्भुत प्रस्तुतियों से कलाग्राम में सांस्कृतिक आभा बिखर गई। देशभर से आए कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कर्नाटक का कमसाले नृत्य – सौंदर्य और युद्धकला का संगम
कार्यक्रम की शुरुआत कर्नाटक के प्रसिद्ध कमसाले नृत्य से हुई, जिसे शिवाराज एवं उनके दल ने प्रस्तुत किया। यह नृत्य शैली सौंदर्य और युद्धकला का अद्भुत मिश्रण है, जिसमें कलाकारों ने अपनी शारीरिक दक्षता और भाव-भंगिमा से दर्शकों को रोमांचित कर दिया।
गढ़वाल नृत्य – पौराणिक गाथाओं की जीवंत प्रस्तुति
उत्तराखंड के रोशन लाल एवं उनके साथी कलाकारों ने पारंपरिक गढ़वाल नृत्य प्रस्तुत किया। वाद्य यंत्रों की थाप पर यह नृत्य पौराणिक कथाओं को सजीव करता है, जिससे श्रद्धालु देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर से रूबरू हुए।
कर्नाटक का ढोलू कूनिथा – ताल और ऊर्जा का संगम
कर्नाटक के मालिकार्जुन वस्वराज एवं उनके दल ने ढोलू कूनिथा प्रस्तुत किया। सिर पर लंबी पगड़ी और हाथों में ढोल लिए कलाकारों की शानदार प्रस्तुति ने दर्शकों में ऊर्जा का संचार कर दिया। इस नृत्य की खासियत है इसकी तेज़ लय और तालबद्ध गतिविधियां, जिससे पूरा माहौल जोश से भर उठा।
चिन्धु यक्षगान – पद्मश्री गद्दम सम्मैया की भव्य प्रस्तुति
पद्मश्री गद्दम सम्मैया एवं उनके साथियों ने चिन्धु यक्षगान नृत्य पेश किया, जो अपनी विशिष्ट शैली और रंगबिरंगे परिधानों के लिए जाना जाता है। इस प्रस्तुति ने दक्षिण भारत की समृद्ध नाट्य परंपरा को मंच पर जीवंत कर दिया।
हरियाणवी लोकनृत्य – हेमंत शर्मा की धमाकेदार प्रस्तुति
हेमंत शर्मा एवं उनके दल ने हरियाणवी लोकनृत्य पेश कर दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। हरियाणवी लोकनृत्य अपनी उर्जा, जोश और तेज़ लयबद्ध मूवमेंट के लिए जाना जाता है।
थिरुवथिरा – केरल की परंपरा की खूबसूरत झलक
गुरु गोपीनाथ के नेतृत्व में प्रस्तुत थिरुवथिरा नृत्य प्रेम, सौंदर्य और भक्ति का प्रतीक रहा। नर्तक दल की सामूहिक तालियों की गूंज और मनमोहक भाव-भंगिमा ने केरल की सांस्कृतिक विरासत को खूबसूरती से प्रस्तुत किया।
हरिकथा – संगीत, नृत्य और कविता का अनोखा संगम
आंध्र प्रदेश की डी. उमा माहेश्वरी एवं उनके साथी कलाकारों ने हरिकथा प्रस्तुत की। इस प्रस्तुति में संगीत, नृत्य और कविता का बेहतरीन मिश्रण देखने को मिला, जिसमें पौराणिक कथाओं को मनोरंजक अंदाज में प्रस्तुत किया गया।
समाप्ति – दर्शकों ने लोकसंस्कृति में लगाई डुबकी
सांस्कृतिक संध्या का समापन समित त्यागी एवं उनके दल की मधुर और भक्तिमय प्रस्तुति से हुआ। श्रद्धालु इस भव्य सांस्कृतिक उत्सव का हिस्सा बनकर अभिभूत दिखे और लोकसंस्कृति की इस दिव्य अनुभूति को आत्मसात किया।
यह सांस्कृतिक कुंभ लोककला प्रेमियों के लिए एक अनूठा अवसर साबित हो रहा है, जहां विभिन्न राज्यों की संस्कृतियों की झलक देखने को मिल रही है।
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