राष्ट्रीय शिल्प मेला 2024 समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का रंगारंग उत्सव
राष्ट्रीय शिल्प मेला 2024: समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का रंगारंग उत्सव
प्रयागराज के शिल्पहाट प्रांगण में सजी राष्ट्रीय शिल्प मेला 2024 की नवीं सांस्कृतिक संध्या ने लोकनृत्यों और भजनों की सुरमयी धुनों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अब यह रंगारंग आयोजन 15 दिसंबर 2024 तक चलेगा, जहां कला, संस्कृति और भक्ति का संगम हर दिन नए रंग बिखेरेगा।
मेरी झोपड़ी के भाग: राम भजनों पर झूमे दर्शक

नौवीं शाम का आगाज प्रयागराज की रीतिका सोनी एवं उनके साथी कलाकारों ने गणेश वंदना “घर में पधारो गजानंदी” से किया। इसके बाद प्रस्तुत किए गए भजनों जैसे “मेरी झोपड़ी के भाग, आज खुल जाएंगे, राम आएंगे” और “कभी राम बनके, कभी श्याम बनके” ने श्रोताओं को भक्ति रस में डुबो दिया।
वरुण मिश्रा ने “चलो मन गंगा यमुना तीर” और “घर-घर बजत बधैया” जैसे गीतों की प्रस्तुति देकर संगीतमय समां बांध दिया।
सती वियोग पर आधारित नृत्य नाटिका से भावविभोर हुए दर्शक
आदर्श महादेव की प्रस्तुति सती वियोग पर आधारित नृत्य नाटिका ने दर्शकों को मोह लिया। उनकी अद्वितीय अभिनय और नृत्य शैली ने दर्शकों को पौराणिक कथाओं की गहराई तक पहुंचा दिया।
राज्यों के लोकनृत्यों ने बढ़ाई सांस्कृतिक एकरूपता
शिल्प मेले में विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने अपने अद्वितीय लोकनृत्यों की प्रस्तुतियां दीं।
राज्य | प्रस्तुत लोकनृत्य |
---|---|
तेलंगाना | माधुरी और बोनालू नृत्य |
मध्य प्रदेश | भगोरिया नृत्य |
पं. बंगाल | रायबेन्शे नृत्य |
राजस्थान | तेराताली नृत्य |
बिहार | चौलर लोकनृत्य |
इन प्रस्तुतियों ने गंगा-जमुनी तहजीब के साथ देश की सांस्कृतिक विविधता का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया।
राष्ट्रीय शिल्प मेला 2024: अब 15 दिसंबर तक होगा आयोजन
एनसीजेडसीसी के प्रभारी निदेशक आशिस गिरि ने जानकारी दी कि दर्शकों की भारी मांग के चलते मेला 12 दिसंबर से बढ़ाकर 15 दिसंबर तक किया गया है।
राष्ट्रीय शिल्प मेला 2024 की विशेषताएं
- सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ देशभर के हस्तशिल्प उत्पाद।
- विभिन्न राज्यों की समृद्ध सांस्कृतिक झलक।
- आयोजन स्थल: शिल्पहाट प्रांगण, प्रयागराज।
- अंतिम तारीख: 15 दिसंबर 2024।
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