UPSC CSE 2025: यूपीएससी सिविल सेवा में EWS को उम्र सीमा में 5 साल की छूट, लेकिन है एक पेंच
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2025 के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है। अदालत ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए EWS उम्मीदवारों को अधिकतम 5 साल की उम्र सीमा में छूट और 9 अटेम्प्ट देने का फैसला सुनाया है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अंतिम नियुक्ति आदेश उसकी अनुमति के बिना जारी नहीं किए जाएंगे।
क्या कहा कोर्ट ने?

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने UPSC को निर्देश दिया कि समान स्थिति वाले सभी अभ्यर्थियों के आवेदन स्वीकार किए जाएं, भले ही वे मौजूदा योग्यता या उम्र की शर्तें पूरी न करते हों। खासतौर पर EWS उम्मीदवारों को वही लाभ मिलेगा, जो अन्य आरक्षित वर्ग (SC/ST/OBC) के उम्मीदवारों को प्राप्त है।
अदालत की अनुमति के बिना नियुक्ति नहीं
हालांकि हाईकोर्ट ने UPSC को निर्देश दिए हैं कि वह इन उम्मीदवारों के आवेदन स्वीकार करे, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि बिना उसकी अनुमति के अंतिम नियुक्ति आदेश जारी नहीं होंगे। इससे यह साफ है कि आगे इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
EWS के लिए नया नियम: UPSC CSE 2025 में क्या बदला?
सुविधा | पहले | अब |
---|---|---|
उम्र सीमा | 32 वर्ष | 37 वर्ष |
अटेम्प्ट | 6 | 9 |
कौन कर रहा था पैरवी?
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हाईकोर्ट में पक्ष रखा। उन्होंने 10 फरवरी 2025 के आदेश का हवाला दिया, जिसमें अधिवक्ता धीरज तिवारी की प्रभावी पैरवी का जिक्र किया गया था।
MP शिक्षक चयन परीक्षा 2024 में भी मिली थी राहत
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच पहले भी EWS अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला दे चुकी है। एमपी शिक्षक चयन परीक्षा 2024 में EWS वर्ग के उम्मीदवारों को 5 साल की उम्र सीमा में छूट दी गई थी, जिसके बाद 45 साल तक के अभ्यर्थी आवेदन कर सकते थे। अदालत ने यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 16 (सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर) के आधार पर दिया।
अब आगे क्या?
अब सवाल यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट इस फैसले को बरकरार रखेगा या UPSC इस फैसले को चुनौती देगा?
EWS उम्मीदवारों के लिए यह राहत भले ही महत्वपूर्ण हो, लेकिन अभी अंतिम नियुक्ति को लेकर स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। आगे क्या होगा, यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा।
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