उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में कजरी, भजन और ढेढ़िया नृत्य ने दर्शकों का मन मोहा।
मुक्ताकाशी मंच पर दीपावली शिल्प मेले के तहत सांस्कृतिक कार्यक्रम में बही सुरों की रसधार

प्रयागराज में सांस्कृतिक संध्या की संगीतमय शाम
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी), प्रयागराज के मुक्ताकाशी मंच पर बुधवार, 23 अक्टूबर 2024 को दीपावली शिल्प मेले के अंतर्गत सांस्कृतिक संध्या का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर श्रोताओं ने कजरी, भजन और लोकनृत्य की प्रस्तुतियों का आनंद लिया, जिससे पूरा माहौल भक्तिमय और संगीतमय हो गया।
कजरी और भजनों की सुरमई प्रस्तुति
कार्यक्रम का शुभारंभ बृजभान यादव और उनके दल द्वारा निर्गुण गीत “हे पिया सतगुरु से नेहिया लगाई ल” से किया गया। इसके बाद देवी गीत “बजाय देतू न माई वीणवा के तरवा” ने कार्यक्रम को भक्तिपूर्ण वातावरण में सराबोर कर दिया।
इसके बाद, मीरजापुर से पधारे रवि शंकर शास्त्री ने राम नाम आधार और मईया तेरो छलकत निर्मल पानी जैसे भजनों की मनमोहक प्रस्तुति दी। उनके गीतों “राम कहानी सुनो रे राम कहानी” और “मस्त मगन नाचे भोला” ने दर्शकों को भक्ति रस में डुबो दिया।
ढेढ़िया लोकनृत्य ने बटोरी तालियां
कार्यक्रम में जब प्रीति सिंह और उनके साथी कलाकारों ने ढेढ़िया लोकनृत्य की प्रस्तुति दी, तो दर्शकों ने जोरदार करतल ध्वनि से उनका स्वागत किया। इस नृत्य में ताल, लय और धुन का अद्भुत संगम देखने को मिला। कलाकारों ने मिट्टी के मटके में सरसों के तेल का दीप जलाकर नज़र उतारने की पारंपरिक विधि को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया, जो सभी के लिए एक यादगार अनुभव साबित हुआ।
गुरु-शिष्य परंपरा के तहत बालिकाओं का लोकगीत प्रदर्शन
वाराणसी के निवेदिता शिक्षा सदन बालिका इंटर कॉलेज की छात्राओं ने, सुचरिता गुप्ता के निर्देशन में, कजरी लोकगीतों की रसधार से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
उन्होंने “हर हर करती चली जब गंगा”, “हरि बहना अखियां हैं प्यासी”, और “पिया मेहंदी लिया रे मोती झील से” जैसे गीतों की प्रस्तुति दी। इन लोकगीतों ने श्रोताओं को एक लोकसंगीत की अनोखी यात्रा पर ले जाते हुए भक्ति रस का प्रवाह किया।
संगतकारों ने दी उत्कृष्ट धुनों का साथ
प्रस्तुतियों को और भी प्रभावी बनाने के लिए संगतकारों ने अनूठा सहयोग दिया:
- हारमोनियम: डॉ. पूनम शर्मा
- ढोलक: कैलाश
- बैंजो: संजय
- ऑक्टोपैड: जीतू राज
- तबला: रंगनाथ
- कीबोर्ड: मास्टर रजत
निष्कर्ष
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के मुक्ताकाशी मंच पर आयोजित यह सांस्कृतिक संध्या भारतीय कला, संगीत और संस्कृति की समृद्ध धरोहर को जीवंत कर गई। कजरी, भजन और ढेढ़िया लोकनृत्य की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और दीपावली शिल्प मेले के इस आयोजन को अविस्मरणीय बना दिया।
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