दीपावली शिल्प मेला 2024 – लोक कला, नृत्य और संगीत का अनूठा संगम

प्रयागराज: एनसीजेडसीसी का मुक्ताकाशी मंच लोकनृत्यों से गुलजार
प्रयागराज, 19 अक्टूबर 2024: उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC), संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित दीपावली शिल्प मेला 2024 के तीसरे दिन का आयोजन रंगारंग कार्यक्रमों से सराबोर रहा। मुक्ताकाशी मंच पर लोक-संगीत, नृत्य और भजन की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पूरे आयोजन में लोककला और सांस्कृतिक धरोहरों की झलक देखने को मिली, जिससे उपस्थित दर्शकों ने भरपूर आनंद लिया।
मुख्य आकर्षण – भजन, बिरहा और कथक नृत्य की जीवंत प्रस्तुति
कार्यक्रम की शुरुआत कमलेश यादव द्वारा प्रस्तुत देवी गीत “जोहत बानी कबसे डहरियन हो” और बिरहा गायन से हुई। इसके बाद मध्य प्रदेश की भजन गायिका अंशिका और उनकी टीम ने राम भक्ति से ओतप्रोत गीतों के साथ मंच को जीवंत कर दिया। प्रमुख गीतों में शामिल थे:
ब्रज नृत्य और चरकुला लोकनृत्य ने बांधा समां
मथुरा से पधारे दीपक शर्मा और उनकी टीम ने “आयो रसिया मोर वन आयौ रसिया” गीत पर पारंपरिक ब्रज नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का दिल जीत लिया। इसके बाद “जुग जुग जीओ गोरी नयन हारी” गीत पर चरकुला लोकनृत्य ने मंच पर राजस्थानी परंपराओं की अनूठी छटा बिखेरी।
कथक नृत्य की मनमोहक जुगलबंदी
लखनऊ घराने से आई कथक नृत्यांगना शिवानी मिश्रा ने अपनी टीम (अन्नया, प्रिंसी, सुनिधि) के साथ शिव वंदना पर शानदार जुगलबंदी पेश की। इसके अलावा, राधा-कृष्ण के प्रेम पर आधारित कथक प्रस्तुति ने दर्शकों को कृष्ण भक्ति में सराबोर कर दिया। नृत्य की संगत में ढोलक पर गोपाल तिवारी, कीबोर्ड पर अनुपम, और आक्टोपैड पर प्रशांत ने मधुर धुनों का संचार किया।
शिल्प हाट में देशभर के शिल्पों की धूम
दीपावली शिल्प मेला 2024 में भारत के विभिन्न राज्यों से आए शिल्पियों के हस्तनिर्मित शिल्पों की प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र बनी रही। हस्तशिल्प प्रेमियों को विभिन्न प्रकार के उत्पाद जैसे मिट्टी के दीपक, कपड़े, हस्तनिर्मित आभूषण, और सजावटी सामान बहुत पसंद आए।
कार्यक्रम का संचालन और समापन
कार्यक्रम का कुशल संचालन आभा मधुर ने किया। लोक कला और शिल्प के इस अनूठे संगम ने दीपावली शिल्प मेला 2024 में आए हर दर्शक के हृदय में उत्साह भर दिया।
निष्कर्ष:
दीपावली शिल्प मेला 2024 में भारतीय संस्कृति के रंगों ने दर्शकों के मन में आनंद और गर्व का भाव भर दिया। लोककला, संगीत और नृत्य की प्रस्तुतियों ने इस आयोजन को यादगार बना दिया। यदि आप भी भारतीय शिल्प और लोक-संस्कृति के प्रेमी हैं, तो यह मेला आपके लिए बेहतरीन अनुभव साबित होगा।
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