प्रयागराज, 20 फरवरी – महाकुंभ 2025 की तैयारियों के तहत गंगा पंडाल में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में संगीत और भक्ति रस की धारा बही। इस कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध गायिका ईमान चक्रवर्ती, ध्रुपद गायक उदय भावेलकर, लोक एवं सूफी गायिका आभा हंजुरा, शास्त्रीय संगीतज्ञ रजनी एवं गायत्री तथा कुचिपुड़ी नृत्यांगना विजयानथी काशी ने अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
ईमान चक्रवर्ती ने दी भक्तिमय प्रस्तुतियाँ
कार्यक्रम की शुरुआत बंगाली गायिका ईमान चक्रवर्ती की भक्तिमय प्रस्तुतियों से हुई। उन्होंने माँ भगवती को समर्पित ‘ए गिरी नंदिनी’ भजन गाकर भक्ति भाव जगाया। इसके बाद, भगवान विष्णु को समर्पित ‘जो भजे हरि को सदा’ भजन प्रस्तुत कर दर्शकों को भक्ति रस में सराबोर कर दिया।

इसके अलावा, उन्होंने अपनी गायन शैली में विविधता दिखाते हुए असमिया बिहू गीत और राजस्थानी लोकगीत ‘फोक मारे हिमबर में’ प्रस्तुत किया, जिससे श्रोता झूम उठे। अपनी अंतिम प्रस्तुति में उन्होंने पंजाबी लोक संगीत की शानदार प्रस्तुति देकर सभी का मन मोह लिया।
उदय भावेलकर ने राग भूप की बंदिश से मंत्रमुग्ध किया
शास्त्रीय संगीत की श्रेणी में, प्रसिद्ध ध्रुपद गायक उदय भावेलकर ने अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को शास्त्रीय संगीत की गहराई से परिचित कराया। उन्होंने राग भूप में ध्रुपद की बंदिश ‘साथ रे सुरन को’ गाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद राग सरस्वती में ‘गंगा कालिंदी सरस्वती पावनी’ प्रस्तुत कर पंडाल में आध्यात्मिक वातावरण उत्पन्न किया।
अंत में, उन्होंने आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शिव पंचाक्षर स्तोत्र गाकर सभी को आनंदमय कर दिया। उनके शुद्ध ध्रुपद गायन ने संगीत प्रेमियों को अभिभूत कर दिया।
सूफी और लोक संगीत की महफिल सजाई आभा हंजुरा ने
लोक और सूफी गायिका आभा हंजुरा, जिन्होंने ‘फैमिली मैन’ वेब सीरीज़ में गाए गीत ‘हुकुस बुकुस’ से प्रसिद्धि पाई, उन्होंने अपनी प्रस्तुतियों से सभी को भावविभोर कर दिया। उन्होंने पहले ‘हुकुस बुकुस’ गाकर दर्शकों का मन मोह लिया। इसके बाद ‘सांसों की माला’ और ‘झीनी रे झीनी’ भजन प्रस्तुत किए। अपनी अंतिम प्रस्तुति में उन्होंने कश्मीरी फोक मेलोडी और शिव तांडव स्तोत्र गाया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
रजनी एवं गायत्री की शास्त्रीय जुगलबंदी
शास्त्रीय संगीत को विशेष पहचान दिलाने वाली कलाकार रजनी एवं गायत्री ने भी अपनी सुमधुर जुगलबंदी से संगीत प्रेमियों को भावविभोर किया। उन्होंने राग केदार में आदि ताल प्रस्तुत कर अपनी पहली प्रस्तुति दी। इसके बाद, राग पंतूरवाली में रूपक ताल का प्रदर्शन किया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
विजयानथी काशी की कुचिपुड़ी नृत्य प्रस्तुति
कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति कुचिपुड़ी नृत्यांगना विजयानथी काशी की रही, जिन्होंने अपनी कला से मंच पर जादू बिखेरा। उन्होंने भगवान गणेश की ‘महा गणपति’ स्तुति से प्रस्तुति की शुरुआत की। इस प्रस्तुति में उन्होंने भगवान गणेश के विभिन्न स्वरूपों को नृत्य के माध्यम से दर्शाया, जिसे उपस्थित दर्शकों ने खूब सराहा।
कलाकारों का सम्मान
कार्यक्रम के अंत में संस्कृति विभाग के कार्यक्रम अधिषासी कमलेश कुमार पाठक, संस्कृति विभाग के नोडल अधिकारी सुभाष यादव एवं संस्कृति मंत्रालय की वरिष्ठ सलाहकार गौरी बसु ने सभी कलाकारों को अंगवस्त्रम एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।
निष्कर्ष
गंगा पंडाल में हुए इस भव्य कार्यक्रम ने शास्त्रीय, भक्ति और लोक संगीत के अनूठे संगम को दर्शाया। ईमान चक्रवर्ती, उदय भावेलकर, आभा हंजुरा, रजनी एवं गायत्री, और विजयानथी काशी जैसी प्रख्यात हस्तियों की प्रस्तुतियाँ दर्शकों के लिए अविस्मरणीय रहीं। महाकुंभ 2025 की तैयारियों के बीच इस तरह के आयोजन भारतीय संस्कृति और कला को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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