प्रयागराज, 25 अक्टूबर 2024 – उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) के मुक्ताकाशी मंच पर शुक्रवार की रात साहित्य और कला के रसिकों ने काव्य की बौछार का आनंद लिया। दीपावली शिल्प मेले के तहत आयोजित इस विशेष कवि सम्मेलन ने श्रोताओं को गीत, ग़ज़ल और हास्य की मिठास से सराबोर कर दिया।

साहित्यिक रचनाओं के इस मंच पर राजनीतिक व्यंग्य से लेकर मिलन और जुदाई के भाव तक, जीवन के हर पहलू को कवियों ने शब्दों में पिरोया। मशहूर कवि अशोक बेसरम ने मंच का संचालन करते हुए श्रोताओं को अपने अनूठे अंदाज से बांधे रखा और अपने मुक्तक “भीख मांगे जो अदाकारी से..” प्रस्तुत कर दर्शकों में उमंग भर दी।
कवियों की शानदार प्रस्तुतियां
- पल्लवी मिश्रा (सुल्तानपुर) ने अपने भावपूर्ण शब्दों में पढ़ा: “नहीं है चार ऋतुओं का कहीं परिवेश, दुनिया में जहाँ अवशेष भारत के हैं…”
- शिवम मिश्रा (बाराबंकी) की पंक्तियां: “मरकर अमर कहानी वही बनता है, जो मां भारती से सच्चा प्यार करता है,” ने देशप्रेम की भावना जगाई।
- कमलाकांत तिवारी (बरेली) ने व्यंग्य में कहा: “तुम्हें अपने अदाओं पर मिला सम्मान भारी है,” जिसने लोगों को गुदगुदाया।
- रेनू मिश्रा (प्रयागराज) ने करुणा में डूबी पंक्तियां प्रस्तुत कीं: “दर्द से भरता है ह्रदय मेरा, देखूं जो आंखों में आंसू तेरी।”
- डॉ. वंदना शुक्ला ने अपने गीत “लौट आए अवधपुर प्रभू राम जी, छाया आनंद उत्सव दीवाली हुई,” के माध्यम से श्रोताओं की तालियां बटोरीं।
- जय कृष्ण राय ‘तुषार’ ने श्रोताओं को गहरे व्यंग्य में लपेटते हुए कहा: “गले में क्रास पहने है मगर चंदन लगाती है, सियासत भी इलाहाबाद में संगम नहाती है।”
- मधुप श्रीवास्तव ‘नरकांल’ (रायबरेली) के व्यंग्य “अरे, अरे, अरे पाप चढ़िगे ऊपर को…” ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बांधा समां
कवि सम्मेलन के अलावा, लोक कलाकारों ने भी मुक्ताकाशी मंच पर शानदार प्रस्तुतियां दीं। प्रिया त्रिपाठी और उनके दल ने “मन लागो मेरो यार फकीरी में” और “परदेसी है बालम हमार, बदला ना जाएगा” गीतों पर प्रस्तुति दी। इसके अलावा, बिरहा गायन और पाई डंडा लोकनृत्य ने दर्शकों का मन मोह लिया।
उपसंहार
यह कवि सम्मेलन साहित्य, लोककला और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत संगम रहा। प्रयागराज की ऐतिहासिक धरती पर देर रात तक काव्यधारा बहती रही, जिसने हर श्रोता के दिल को छू लिया।
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