राष्ट्रीय शिल्प मेला 2024 का समापन कला और संस्कृति के रंग में सराबोर प्रयागराज
राष्ट्रीय शिल्प मेले 2024 का समापन: कला और संस्कृति का अनूठा संगम
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज में आयोजित राष्ट्रीय शिल्प मेले 2024 रविवार को समाप्त हुआ। 15 दिवसीय इस आयोजन में देश के विभिन्न राज्यों से आए शिल्पकारों और कलाकारों ने अपनी कला का अद्भुत प्रदर्शन किया।

शिल्पकारों और कला प्रेमियों की भागीदारी
मेले में विभिन्न राज्यों के शिल्पकारों ने अपने स्टॉल लगाए, जहां चंदेरी, सिल्क, सूती कपड़े, राजस्थान के आभूषण और कश्मीर के ड्राई फ्रूट्स जैसे उत्पादों को प्रदर्शित किया गया।
श्रेणी | उत्पाद |
---|---|
वस्त्र | चंदेरी, सिल्क, सूती कपड़े |
आभूषण | राजस्थान के पारंपरिक आभूषण |
खाद्य सामग्री | कश्मीर के ड्राई फ्रूट्स |
मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भी दर्शकों को आकर्षित किया।
अंतिम दिन की खास झलकियां
सांस्कृतिक संध्या: अंतिम दिन प्रयागराज के अभिषेक सिंह और उनके दल ने पारंपरिक लोक नृत्य ढेड़िया, नटका और कजरी प्रस्तुत किया। इसके अलावा भानु प्रताप सिंह और सूर्य प्रकाश दुबे ने अपने गीतों से समां बांधा।
- प्रस्तुतियां:
- भानु प्रताप सिंह: “विंध्याचल वाली मैया”, “लागल प्रयागराज में शिल्प मेला”
- सूर्य प्रकाश दुबे: “कुंभ में आओ चले सब”, “प्रयाग नगरी बसे संगम तीरे”
मेले की लोकप्रियता
रविवार को भारी संख्या में लोगों ने मेले का आनंद लिया। एनसीजेडसीसी के मुख्य द्वार पर वाहनों की लंबी कतारें इस आयोजन की लोकप्रियता को दर्शाती हैं।
सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व
राष्ट्रीय शिल्प मेले 2024 न केवल कलाकारों और शिल्पकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच रहा, बल्कि प्रयागराज के लोगों के लिए मिनी भारत का अनुभव कराने वाला एक अनूठा अवसर भी साबित हुआ।
राष्ट्रीय शिल्प मेले 2024 ने अपने कला और संस्कृति के रंगों से न केवल प्रयागराज बल्कि देशभर के लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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