श्री निरंजनी अखाड़ा में 78 फीट लंबी धर्म ध्वजा की परंपरा
श्री निरंजनी अखाड़ा धर्म ध्वजा की स्थापना का महत्व
महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से संगम नगरी प्रयागराज में शुरू हो रहा है। इस ऐतिहासिक आयोजन में 13 अखाड़े और देश के कोने-कोने से संत महात्मा उपस्थित होंगे। त्रिवेणी मार्ग पर अखाड़ा नगर में अखाड़ों के लिए विशेष छावनियां बनाई जा रही हैं। छावनी निर्माण के बाद सबसे पहला कार्य धर्म ध्वजा और इष्ट देव की स्थापना का होता है।

श्री निरंजनी अखाड़ा में धर्म ध्वजा
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष, रविंद्र पुरी, ने बताया कि उनके अखाड़े में 78 फीट लंबी धर्म ध्वजा स्थापित की जाएगी। यह परंपरा अखाड़े की 52 मढ़ियों और 52 शक्तिपीठों का प्रतीक मानी जाती है। धर्म ध्वजा की स्थापना से पहले विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है:
कार्य | विवरण |
---|---|
पेड़ की छाल निकालना | धर्म दंड के लिए उपयुक्त पेड़ चुना जाता है। |
रस्सी लपेटना | रस्सी को विशेष तरीके से दंड पर लपेटा जाता है। |
गेरू की पुताई | गेरू का लेप कर धर्म दंड को पवित्र बनाया जाता है। |
ध्वजा का श्रृंगार | रस्सी और वस्त्र के माध्यम से सजावट की जाती है। |
गेरू और रस्सी का धार्मिक महत्व
धर्म ध्वजा में गेरू और रस्सी का उपयोग सनातन धर्म का प्रतीक है।
- गेरू का लेप: यह सत्य और सनातन परंपरा का प्रतीक है।
- रस्सी का उपयोग: इसे धर्म ध्वजा का श्रृंगार माना जाता है।
अखाड़ा परिषद के अनुसार, यह प्रक्रिया धर्म और भक्ति के मूल्यों को प्रकट करती है।
महाकुंभ में धर्म ध्वजा की ऐतिहासिक परंपरा
महाकुंभ जैसे विशाल आयोजनों में धर्म ध्वजा का महत्वपूर्ण स्थान है। यह ध्वजा धर्म, सत्य और शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है। इसके माध्यम से अखाड़े की शक्ति और भक्ति के प्रति समर्पण का संदेश दिया जाता है।
महाकुंभ 2025 की प्रमुख विशेषताएं
- 13 प्रमुख अखाड़ों की छावनियां त्रिवेणी मार्ग पर बन रही हैं।
- संतों और श्रद्धालुओं का संगम, जिसमें देशभर से भक्त शामिल होंगे।
- धर्म ध्वजा की स्थापना के साथ आध्यात्मिक वातावरण का निर्माण।
निष्कर्ष
महाकुंभ 2025 में श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी द्वारा स्थापित की जाने वाली धर्म ध्वजा सत्य, सनातन और शक्ति का प्रतीक है। 78 फीट लंबी इस ध्वजा की परंपरा अखाड़ों की समृद्ध विरासत को दर्शाती है।
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