सनातन संस्कृति के संरक्षण के लिए गुरुकुलों की आवश्यकता: श्री सुधांशु महाराज
प्रयागराज, (8 फरवरी 2025) – महाकुंभ 2025 के दौरान विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित विराट संत सम्मेलन में, प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु श्री सुधांशु महाराज जी ने सनातन संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए 10 नए गुरुकुलों की स्थापना का संकल्प लिया। यह घोषणा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य प्रतिष्ठित संतों की उपस्थिति में की गई।

सनातन संस्कृति के संरक्षण के लिए गुरुकुलों की आवश्यकता
अपने संबोधन में श्री सुधांशु महाराज जी ने भारत की वैदिक परंपराओं की रक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा,
“शिक्षा, धर्म और संस्कार किसी भी सशक्त समाज की नींव होते हैं। हर आश्रम में एक गुरुकुल होना आवश्यक है ताकि सनातन संस्कृति की रक्षा और प्रसार सुनिश्चित किया जा सके।”
उन्होंने बताया कि यह नई पहल विश्व जागृति मिशन द्वारा संचालित की जाएगी, जो अगले महाकुंभ से पहले भारत के विभिन्न राज्यों में 10 नए गुरुकुलों और संस्कार केंद्रों की स्थापना करेगा। इन गुरुकुलों का उद्देश्य आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा प्रदान करना और भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करना होगा।
ब्रिटिश शासनकाल और गुरुकुल शिक्षा प्रणाली पर प्रभाव
महाराज जी ने अपने भाषण में ब्रिटिश शासन का उल्लेख करते हुए बताया कि उस काल में भारत के लगभग 3 लाख गुरुकुलों को बंद कर दिया गया था, जिससे हमारी पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को गहरी क्षति पहुंची। उन्होंने तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों का उदाहरण देते हुए यह बताया कि भारत का शिक्षा दर्शन हमेशा से ही आध्यात्म, नैतिकता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समृद्ध रहा है।
भारत के कोने-कोने में गुरुकुलों का विस्तार
वर्तमान में दिल्ली, कानपुर और नागपुर में श्री सुधांशु महाराज जी के गुरुकुल पहले से ही संचालित हो रहे हैं और उन्हें जबरदस्त सफलता मिल रही है। इस नई पहल के तहत भारत के अन्य कोनों में भी गुरुकुल खोले जाएंगे, जिससे वैदिक शिक्षा को पुनर्जीवन मिलेगा और युवाओं को आध्यात्मिकता और नैतिकता से सशक्त किया जाएगा।
सनातन धर्म के भविष्य को संवारने का दूरदर्शी प्रयास
श्री सुधांशु महाराज जी का यह संकल्प न केवल आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक प्रतिबद्धता भी है, जो सनातन संस्कृति को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त करेगी। इन गुरुकुलों के माध्यम से विद्यार्थियों को प्राचीन भारतीय मूल्यों की शिक्षा मिलेगी और वे नैतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से सक्षम नागरिक बनेंगे।
निष्कर्ष
महाकुंभ 2025 में श्री सुधांशु महाराज जी द्वारा किया गया यह ऐलान सनातन संस्कृति के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का पुनरुद्धार न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण को गति देगा, बल्कि यह भारत की आध्यात्मिक विरासत को सहेजने और उसे वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने का कार्य करेगा।
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