शिवा फेस्ट का भव्य आयोजन
महाशिवरात्रि पर महाकुंभ में ऐतिहासिक ‘शिवा फेस्ट’
महाकुंभ 2025 के पावन अवसर पर, महाशिवरात्रि के दिन प्रयागराज के परमार्थ निकेतन में ‘शिवा फेस्ट’ का ऐतिहासिक आयोजन हुआ। इस आयोजन में 108 कलाकारों ने 108 मिनट में भगवान शिव के 108 रूपों को चित्रित किया, जो कि अपने आप में एक अनूठी उपलब्धि रही।

इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम
‘शिवा फेस्ट’ को अपनी अद्वितीयता के चलते इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया। पहली बार इतने बड़े पैमाने पर शिव के विभिन्न रूपों को एक साथ चित्रित किया गया, जिससे महाकुंभ 2025 का यह आयोजन ऐतिहासिक बन गया।
कला, आध्यात्मिकता और संगीत का संगम
‘शिवा फेस्ट’ केवल एक चित्रकला प्रतियोगिता नहीं थी, बल्कि यह कला, आध्यात्मिकता और संगीत का अद्भुत संगम भी था।
- जब कलाकार भगवान शिव के 108 रूपों को चित्रित कर रहे थे, तब भजन संकीर्तन मंडली ने 108 मिनट तक शिव भजनों का गायन किया।
- इससे पूरे परिसर में एक आध्यात्मिक ऊर्जा व्याप्त हो गई।
राष्ट्रीय संस्थानों और कलाकारों की भागीदारी
इस आयोजन को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, ललित कला अकादमी और पतंजलि योगपीठ का महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ।
सहयोगी संस्थान | भाग लेने वाले प्रमुख कलाकार |
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ललित कला अकादमी | करण आचार्य (अग्रेशन शिवा) |
संस्कृति मंत्रालय | प्रमुख कला समूह एवं शिक्षण संस्थान |
पतंजलि योगपीठ | नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, आईएफआई (मोदीनगर) |
आयोजकों की प्रतिक्रियाएँ
शंतनु गुप्ता (कार्यक्रम नेतृत्व)
“महाकुंभ में शिव के 108 रूपों को चित्रित करना केवल एक कला उत्सव नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक जागरण भी है। इस रिकॉर्ड को बनाना हमारे लिए गर्व की बात है।”
पुष्कर शर्मा (आयोजन समन्वयक)
“शिवा फेस्ट भारतीय कला और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम है। भविष्य में इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले जाने की योजना है।”
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी
“जब कला और भक्ति मिलते हैं, तो इतिहास बनता है। शिवा फेस्ट ने कलाकारों को अपनी साधना और भक्ति से जोड़ने का दिव्य अवसर दिया।”
भविष्य की योजनाएँ
- हर महाशिवरात्रि को आयोजन: आयोजकों की योजना इस भव्य आयोजन को हर साल भारत के पवित्र स्थलों पर करने की है।
- अंतरराष्ट्रीय विस्तार: इसे विश्व स्तर पर ले जाकर भारतीय आध्यात्मिक कला को पहचान दिलाने की योजना बनाई जा रही है।
निष्कर्ष
महाशिवरात्रि पर महाकुंभ 2025 में ‘शिवा फेस्ट’ का ऐतिहासिक आयोजन हुआ, जो इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ। यह आयोजन कला, आध्यात्मिकता और भक्ति का अद्भुत संगम था, जिसने महाकुंभ की भव्यता को और अधिक दिव्यता प्रदान की।
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