अटल अखाड़े का नगर प्रवेश, प्रयागराज महाकुंभ 2025 श्रद्धालुओं ने दी जोरदार स्वागत
अटल अखाड़े का नगर प्रवेश शोभायात्रा
प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियों के तहत 13 अखाड़ों का नगर प्रवेश जारी है। गुरुवार को अटल अखाड़े की भव्य नगर प्रवेश शोभायात्रा धूमधाम से निकाली गई, जिसमें दूरदराज से आए साधु संतों ने भाग लिया।

यह शोभायात्रा श्रद्धालुओं के लिए एक आकर्षण का केंद्र बन गई, जिसमें भगवान गणेश की चांदी की पालकी सबसे आगे चल रही थी। इसके बाद महात्माओं का कारवां ध्वज-पताकाओं और बैंडबाजे के साथ चल रहा था, जिसे देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।
शोभायात्रा की भव्यता
- मुख्य आकर्षण: भगवान गणेश की चांदी की पालकी
- ध्वज-पताका: बैंडबाजे के साथ महात्माओं का कारवां
- स्थलों पर स्वागत: श्रद्धालुओं ने फूलों से साधु-संतों का स्वागत किया
धर्म की रक्षा में अखाड़ों का योगदान
महाकुंभ 2025 के लिए अटल अखाड़े की नगर प्रवेश शोभायात्रा ने यह संदेश भी दिया कि यह अखाड़ा सिर्फ धार्मिक आयोजन का हिस्सा नहीं है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को बनाए रखने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है। जम्मू-कश्मीर से आए श्री स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि आदि गुरु शंकराचार्य ने 13 अखाड़ों की स्थापना धर्म की रक्षा के लिए की थी। इनमें से अटल अखाड़ा सबसे प्राचीन और प्रतिष्ठित है, और इस अखाड़े के साधु-संतों ने हमेशा धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष किया।
स्वामी महाराज ने उदाहरण देते हुए कहा कि अटल अखाड़े के साधु संन्यासियों ने मुगलों और अंग्रेजों से मुकाबला किया, ताकि सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति को बचाया जा सके। आज भी यह अखाड़ा धर्म की रक्षा के लिए खड़ा है और समाज में धार्मिक जागरूकता और शांति का संदेश देता है।
महाकुंभ 2025 की सफलता के लिए साधु-संतों की तैयारियां
अटल अखाड़ा की नगर प्रवेश शोभायात्रा के बाद अब साधु-संत महाकुंभ 2025 की सफलता के लिए अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। मां अलोपशंकरी का पूजन और कुंभ की सफलता के लिए कामना की गई। महात्माओं का कहना है कि महाकुंभ एक धार्मिक आयोजन ही नहीं बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।
साधु-संतों ने यह भी कहा कि महाकुंभ की सफलतापूर्वक आयोजन के लिए हर एक साधु और संत पूरी तरह से समर्पित हैं। वे धर्म के मार्ग पर चलकर लोगों को सत्य, अहिंसा और एकता का संदेश देना चाहते हैं। अटल अखाड़े के संतों का मानना है कि इस शोभायात्रा से कुंभ मेले का महत्व और भी बढ़ जाएगा और यह आयोजन देश और दुनिया भर में अपनी धार्मिक महत्ता के कारण प्रसिद्ध होगा।
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