भाविनी वेलफेयर सोसाइटी के अंतर्गत संचालित भाविनी डे केयर सेंटर प्रयागराज में आयोजित समर कैंप का समापन समारोह आज विशेष भव्यता के साथ मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सुंदरकांड पाठ और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इस दौरान माता अहिल्याबाई होलकर की त्रिशताब्दी जयंती भी मनाई गई।

मुख्य अतिथियों का स्वागत और सम्मान
भाविनी डे केयर सेंटर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विधायक प्रतिनिधि श्री गिरीश द्विवेदी और विशिष्ट अतिथि के.पी ट्रस्ट से प्रशासनिक अधिकारी रवि श्रीवास्तव एवं संतोष श्रीवास्तव उपस्थित रहे। सभी अतिथियों का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया गया। स्वागत गीत के माध्यम से भाविनी परिवार ने उन्हें सम्मानित किया।
संस्थान की सचिव पूनम सिंह का प्रेरणादायक उद्बोधन
संस्थान की सचिव पूनम सिंह ने अपने प्रेरणास्पद उद्बोधन में समाजसेवा की भावना को बढ़ावा देने और विशेष बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए किए जा रहे प्रयासों को साझा किया।
विशेष बच्चों की रंगारंग प्रस्तुतियां बनी आकर्षण का केंद्र
सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत “हम कथा सुनाते हैं राम सकल गुणगान की” इस रामायण भजन से हुई, जिसे विशेष बच्चों ने प्रस्तुत किया। इसके बाद नृत्य, गीत, कविता व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सुंदर झलक देखने को मिली। बच्चों की प्रतिभा ने सभी उपस्थित जनों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
विशिष्ट हस्तियों का मोमेंटो और सर्टिफिकेट से सम्मान
भाविनी डे केयर सेंटर द्वारा समाजसेवा, मीडिया और स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महान हस्तियों को मोमेंटो और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
सम्मानित व्यक्तित्वों में शामिल हैं:
- सोनाली श्रीवास्तव
- मंजुला निषाद
- शशि भारती
- रीना
- खुशी त्रिपाठी
- रेनू
- पुष्पांजलि
कार्यक्रम में योगदान देने वाले प्रमुख सदस्य
इस समापन समारोह को सफल बनाने में कई सदस्यों ने अहम भूमिका निभाई:
- पूनम सिंह (सचिव)
- रुचि राय (उप सचिव)
- आलोक राय
- हर्षवर्धन सिंह
- कृष्ण कुमार सिंह
- यशवर्धन सिंह
भाविनी डे केयर सेंटर शिक्षकगण:
- सुनीता मिश्रा
- डॉ. छवि राज (फिजियोथैरेपिस्ट)
- शीलू सोनकर
- पुष्पा भारती
- शशि भारती
- मुस्कान मिश्रा (समारोह में अहम योगदान)
- कृष्णा चौधरी (सबसे मेहनती और कर्मठ संस्थान के प्रति)
निष्कर्ष
भाविनी डे केयर सेंटर प्रयागराज समर कैंप समापन समारोह ने न केवल विशेष बच्चों की प्रतिभा को मंच प्रदान किया, बल्कि समाजसेवा और संस्कृति के संगम का भी सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया। यह आयोजन भाविनी संस्था की सामाजिक प्रतिबद्धता और शिक्षकीय समर्पण का प्रतीक रहा।
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