अवधी लोक नृत्य की थिरकन से सजी दीपावली शिल्प मेला 2024 की शाम, शिल्प और स्वाद ने दर्शकों का दिल जीता
प्रयागराज, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (20 अक्टूबर 2024) – Deepawali Shilp Mela 2024 के चौथे दिन रविवार की शाम एनसीजेडसीसी में शिल्प और सुरों की जुगलबंदी ने दर्शकों का मन मोह लिया। लोकनृत्य और पारंपरिक गायन की मनमोहक प्रस्तुतियों ने कला प्रेमियों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

अवधी लोकनृत्य का जादू:
अंबेडकर नगर से आईं प्रतिमा यादव और उनके साथी कलाकारों ने अवधी बधावा लोकनृत्य प्रस्तुत कर पूरे पंडाल को अवधमय कर दिया। उन्होंने “राजा दशरथ जी के घरवा, आज जनमें ललनवा” और “सरौता कहां भूल आये प्यारे ननदोइया” जैसे पारंपरिक गीतों पर शानदार प्रदर्शन कर तालियां बटोरीं।
इसके बाद, भजन गायक उत्तम रॉय ने “जो भी देखे तेरा दरबार” और “जय राधे-राधे, जय श्यामा-श्यामा” जैसे भजनों से माहौल में भक्ति का रस घोल दिया। दर्शक ब्रज संस्कृति की झलकियों से भाव-विभोर हो उठे।
कमल चंद्र यादव ने बिरहा गायन से समां बांधते हुए “खुशिया अवध के नगर छाये” और “हमार दियना के जलाए अटारी” जैसे गीतों पर दर्शकों का मन जीत लिया। इसके अलावा, विजय कुमार और उनकी टीम ने फरवही लोकनृत्य की प्रस्तुति देकर फसल कटाई के उल्लास को जीवंत कर दिया।
संगत में ऑर्गन पर राहुल कुमार, ऑक्टोपैड पर रॉबिन कुमार, और नाल (ढोलक) पर सोना भट्ट ने बेहतरीन सहयोग दिया। पूरे कार्यक्रम का संचालन रेनू रॉय ने किया और इस सांस्कृतिक शाम में दर्शकों की अच्छी-खासी भीड़ उमड़ी रही।
सोमवार को स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुति:
Deepawali Shilp Mela 2024 के पांचवें दिन सोमवार को भी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का दौर जारी रहेगा। इसमें विनोद निषाद की “काली स्वांग नृत्य नाटिका”, श्वेता श्रीवास्तव की नृत्य नाटिका, अर्चना दास का भजन गायन और सपना पाल का बिरहा गायन प्रमुख आकर्षण होंगे।
शिल्प और स्वाद ने मोहा ग्राहकों का मन
रविवार को मेले में राजस्थान, पंजाब, बिहार, कश्मीर और पश्चिम बंगाल के शिल्पकारों ने अपने अनूठे उत्पादों के जरिए ग्राहकों का ध्यान आकर्षित किया। राजस्थान की जलेबी, बिहार का बाटी-चोखा और चूरमा, और नासिक के भुट्टे जैसे पारंपरिक व्यंजनों ने लोगों का स्वाद दोगुना कर दिया। साथ ही, मैदानी कलाकारों का बीन वादन भी आकर्षण का केंद्र रहा, जिसने संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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