Photo Credit By: Rohit Sharma
प्रयागराज महाकुंभ नगर में एक ऐतिहासिक और दिव्य आयोजन के अंतर्गत पूज्यनीय डॉ. कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य महाराज जी को संत महात्माओं के सानिध्य में पट्टाभिषेक कर जगद्गुरु रामानुजाचार्य की प्रतिष्ठित उपाधि से विभूषित किया गया। यह शुभ अवसर पूरे सनातन समाज के लिए अत्यंत हर्षोल्लास और श्रद्धा का विषय बना। इस कार्यक्रम में हजारों श्रद्धालु, संत, महंत, और विद्वान जन उपस्थित रहे।

वैदिक विधि-विधान से संपन्न हुआ पट्टाभिषेक
इस प्रतिष्ठित पट्टाभिषेक कार्यक्रम का आयोजन श्रीमद् गुरु रामानुजाचार्य अखिल भारतीय श्री रामानुज वैष्णव समिति के तत्वावधान में किया गया। इस अवसर पर अनेक वैदिक अनुष्ठानों और मंत्रोच्चार के बीच डॉ. कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य महाराज को जगद्गुरु के पद पर प्रतिष्ठित किया गया। वैदिक ऋषियों की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, इस कार्यक्रम में धर्माचार्यों और विद्वानों ने अपना आशीर्वाद प्रदान किया।
जगद्गुरु का संदेश: निष्ठा और सेवा का संकल्प
इस महत्वपूर्ण अवसर पर जगद्गुरु डॉक्टर कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य महाराज ने अपने संबोधन में कहा:
“मैं सभी धर्माचार्यों को नमन करता हूँ। माँ गंगा, यमुना, सरस्वती और पूज्यपाद रामानुज स्वामी जी को प्रणाम करता हूँ। अनंत बलवंत हनुमान जी के चरणों में प्राणिपात करता हूँ। हमारे पूर्वाचार्यों ने जिस पूर्ण तिथि में यह आयोजन संपन्न किया, उन्हें भी श्रद्धा अर्पित करता हूँ। श्रीमद् गुरु रामानुजाचार्य अखिल भारतीय श्री रामानुज वैष्णव समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अच्युत प्रपन्नाचार्य महाराज जी, जिनके शिविर में यह भव्य आयोजन हुआ, उन्हें भी सादर प्रणाम करता हूँ।
उन्होंने आगे कहा:
“जो दायित्व मुझे वैष्णव संप्रदाय द्वारा सौंपा गया है, मैं उसे पूर्ण निष्ठा और सेवा भाव से निभाने का वचन देता हूँ। संप्रदाय की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, सनातन धर्म के प्रचार और संरक्षण में संलग्न रहूँगा।”
रामानुज संप्रदाय और जगद्गुरु पद की महत्ता
रामानुज संप्रदाय में 74 पीठों की स्थापना स्वयं भगवान रामानुजाचार्य ने की थी। इन पीठों के माध्यम से वैष्णव परंपरा का प्रचार और संरक्षण होता है। जगद्गुरु पद उसी महान परंपरा का हिस्सा है, जिसे योग्य आचार्यों को प्रदान किया जाता है।
इस पट्टाभिषेक के बाद, डॉ. कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य महाराज जी अब श्री वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख मार्गदर्शक के रूप में धर्म और संस्कृति की सेवा करेंगे।
भव्य आयोजन और श्रद्धालुओं की सहभागिता
इस अवसर पर प्रयागराज सहित देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु एवं संतगण उपस्थित हुए। कार्यक्रम के दौरान भजन-कीर्तन और संत समागम का आयोजन किया गया, जिसमें धर्म प्रेमियों ने श्रद्धा पूर्वक भाग लिया। इस अवसर पर विशेष रूप से वैदिक विद्वानों ने श्री वैष्णव परंपरा की महत्ता पर व्याख्यान दिया।
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