संत त्रिलोचन दास ने बताया- ‘हमारी आंखों के सामने लोग दम तोड़ते गए’
संत त्रिलोचन दास ने बताया- ‘हमारी आंखों के सामने लोग दम तोड़ते गए’
प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में भगदड़ की घटना को लेकर संत त्रिलोचन दास जी महाराज ने भयावह सच्चाई बयान की है। उनका दावा है कि संगम नोज के पास ही नहीं, बल्कि अन्य स्थानों पर भी भगदड़ मची थी, जिसमें कई लोग मारे गए थे। सरकार ने केवल एक भगदड़ की पुष्टि की, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, स्थिति कहीं अधिक गंभीर थी।
संत त्रिलोचन दास जी महाराज ने बताया, “हमारी आंखों के सामने ही 3 से 4 लोगों ने दम तोड़ दिया। हमारे सेवादारों ने बचाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं बच पाए। लोग बस यही कह रहे थे— ‘बाबा, हमको बचा लो’। भीड़ इतनी अधिक थी कि सांस लेना मुश्किल हो गया था।”

पीपा पुल बंद करने से बढ़ी भगदड़
संत ने हादसे की वजह बताते हुए कहा कि प्रशासन ने पांटून पुल और पीपा पुल को बंद कर दिया था। उन्होंने कहा, “लोगों की भीड़ का प्रवाह बना रहना चाहिए था, लेकिन पुल बंद होने से भीड़ एक जगह जमा हो गई। इससे दम घुटने की स्थिति बन गई। लोग इतने घबरा गए कि नीचे सो रहे लोगों के ऊपर चढ़ने लगे।”
दास संप्रदाय शिविर: सेवा और त्याग का प्रतीक
महाकुंभ में दास संप्रदाय का शिविर विशेष रूप से सेवा कार्यों के लिए जाना जाता है। इस संप्रदाय के गुरु, सद्गुरु हुज़ूर महाराज दर्शन दास जी, जो खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ खड़े हुए थे, को सत्संग के दौरान शहीद कर दिया गया था। उनकी शिक्षाओं को आगे बढ़ाते हुए, दास संप्रदाय के संत त्रिलोचन दास जी महाराज और उनके सेवादारों ने इस भगदड़ के दौरान लोगों की जान बचाने के लिए अथक प्रयास किए।
प्रशासन की चूक बनी हादसे की वजह
संत त्रिलोचन दास जी महाराज ने प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि पीपा पुल को बंद कर देना भारी भूल थी। इससे भीड़ का दबाव असहनीय हो गया और भगदड़ की स्थिति बन गई।
“प्रशासन को चाहिए था कि भीड़ के प्रवाह को नियंत्रित करता, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। 1 नंबर पुल से गाड़ियां गुजर रही थीं, जबकि लोगों को दूर के पुलों से आने के लिए कहा जा रहा था। यह एक बड़ी चूक थी।”
वीडियो ने खोली प्रशासन की पोल
संत त्रिलोचन दास जी महाराज ने कहा कि उनके पास उस भयावह स्थिति की वीडियो फुटेज है, जिसे देखकर कोई भी सिहर उठेगा। उन्होंने कहा,
“हमारी वीडियो देखकर हर कोई डर जाएगा। हमने हजारों लोगों की जान बचाई। मैं दिल से दुखी हूं। तैयारियां अच्छी थीं, मगर हादसा हो गया।”
निष्कर्ष
महाकुंभ में भगदड़ की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन इस बार दास संप्रदाय के शिविर ने अपनी सेवाभावना से सैकड़ों लोगों की जान बचाई। संत त्रिलोचन दास जी महाराज और उनके सेवादारों ने निस्वार्थ भाव से जो कार्य किया, वह निश्चित रूप से काबिले तारीफ है। प्रशासन को इस घटना से सबक लेकर भविष्य में बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करना चाहिए ताकि ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।
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