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साध्वी सत्यप्रिया गिरि का पट्टा अभिषेक– निरंजनी अखाड़े में हुआ भव्य समारोह
प्रयागराज, महाकुंभ 2025: निरंजनी अखाड़े की छावनी में वैदिक मंत्रोच्चार और संत महापुरुषों की उपस्थिति में साध्वी सत्यप्रिया गिरि का पट्टा अभिषेक कर महामंडलेश्वर की उपाधि से विभूषित किया गया। इस भव्य आयोजन की अध्यक्षता आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि महाराज ने की।
महामंडलेश्वर की उपाधि से विभूषित हुईं साध्वी सत्यप्रिया गिरि
साध्वी सत्यप्रिया गिरि, परम शक्ति पीठ, वात्सल्य ग्राम, वृंदावन (मथुरा) की प्रमुख संत हैं। उनके पट्टा अभिषेक के दौरान अखाड़ा परिषद के कई वरिष्ठ संत उपस्थित रहे। महामंडलेश्वर पद ग्रहण करने के बाद साध्वी सत्यप्रिया गिरि ने कहा:
“आज का दिन मेरे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। गुरुजनों ने जो जिम्मेदारी सौंपी है, उसे पूर्ण निष्ठा और समर्पण के साथ निभाऊंगी। सनातन धर्म की परंपराओं को आगे बढ़ाना मेरा कर्तव्य रहेगा।”

संतों के विचार और आशीर्वचन
महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि महाराज ने इस अवसर पर कहा कि संतों की वाणी जीवन के गहरे पहलुओं को समझाने और समाज को सही दिशा दिखाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम होती है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं माँ मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा:
“गुरु अपने शिष्यों को सत्य के मार्ग पर अग्रसर करते हैं। हमें आशा है कि साध्वी सत्यप्रिया गिरि भी इस परंपरा का पालन करेंगी और संत महापुरुषों के आदर्शों पर चलेंगी।”
महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद पुरी (उज्जैन) ने अपने प्रवचन में कहा कि संत समाज सनातन धर्म के सच्चे हितैषी होते हैं, जो सत्य, अहिंसा, प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं।
समारोह में उपस्थित संत महापुरुष
इस पावन अवसर पर कई संत-महापुरुषों की उपस्थिति रही, जिनमें शामिल थे:
- दादा गुरुदेव स्वामी परमानंद गिरि
- आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशौका नंद
- कथा व्यास देवकीनंदन ठाकुर
- अखाड़े के सचिव श्री महंत राम रतन गिरि
- दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा
- स्वामी चिन्मयानंद, स्वामी हरिओम गिरि
- श्री महंत शंकरानंद, सरस्वती महामंडलेश्वर स्वामी अनपूर्णा भारती
- महामंडलेश्वर स्वामी मीरा गिरि, स्वामी अनंतानंता नंद
इसके अलावा देशभर से संत समाज के गणमान्य संत और श्रद्धालु उपस्थित रहे।
सनातन परंपरा में बढ़ता महिलाओं का योगदान
साध्वी सत्यप्रिया गिरि के महामंडलेश्वर बनने से सनातन धर्म में महिलाओं की भूमिका और अधिक मजबूत हुई है। यह आयोजन दिखाता है कि अखाड़ा परंपरा में महिलाओं का सम्मान और योगदान निरंतर बढ़ रहा है।
निष्कर्ष
महाकुंभ 2025 के दौरान यह आयोजन ऐतिहासिक बन गया, जिसमें साध्वी सत्यप्रिया गिरि ने महामंडलेश्वर की उपाधि ग्रहण कर संत समाज में नई मिसाल कायम की। उनके नेतृत्व में सनातन धर्म की परंपराओं का विस्तार और अखाड़ा परंपरा का प्रचार-प्रसार और अधिक सशक्त होगा।
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