सांस्कृतिक मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कुंभ में शनिवार को लोकनृत्य और लोकगीतों की जुगलबंदी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। भारतवर्ष की माटी की सुगंध से सराबोर इस आयोजन में विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने लोकनृत्य और देशज लोकगीतों की आकर्षक प्रस्तुतियां दीं। संध्या का मुख्य आकर्षण पद्मश्री लोक गायिका मालिनी अवस्थी रहीं, जिनके लोकगीतों से पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा।

मालिनी अवस्थी के सुरों ने बांधा समां
मालिनी अवस्थी ने मंच पर आते ही मां गंगा को नमन कर अपने कार्यक्रम की शुरुआत “ॐ नमः शिवाय” से की। इसके बाद उन्होंने अपनी चिर-परिचित शैली में श्रोताओं से जुड़ते हुए एक के बाद एक लोकगीत प्रस्तुत किए। “राजा जनक के द्वारे भीड़” और “होली खेले मसाने में” की प्रस्तुति ने श्रोताओं की तालियां बटोरी। वहीं, “रेलिया बैरन पिया को लिए जाए”, “अनादि देवी अम्बिके तुम्हे सतत प्रणाम है”, “नीमिया तले डोला रख दे मुसाफिर” जैसे गीतों पर दर्शक झूमते नजर आए।
विभिन्न राज्यों के लोकनृत्य बने आकर्षण का केंद्र
इस अवसर पर विभिन्न राज्यों के लोकनृत्य प्रस्तुत किए गए, जिनमें:
- ओडिशा का घंटा और मृदंग नृत्य
- तमिलनाडु का ओलियट्टम नृत्य
- राजस्थान का कच्ची घोड़ी नृत्य
- त्रिपुरा का मोगनृत्य
- पंजाब का भांगड़ा
इन लोकनृत्यों ने दर्शकों को अलग-अलग राज्यों की संस्कृति से परिचित कराया और पूरे कार्यक्रम को यादगार बना दिया।
आयोजन का प्रभाव
सांस्कृतिक संध्या में दर्शकों ने लोकनृत्य और लोकगीतों का भरपूर आनंद लिया। मालिनी अवस्थी की प्रस्तुतियों ने कुंभ नगरी के सांस्कृतिक आयोजन को एक नई ऊंचाई दी। कार्यक्रम का संचालन संजय पुरषार्थी ने किया।
यह आयोजन भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्ध लोककला को प्रदर्शित करने वाला रहा, जिसने न केवल स्थानीय बल्कि दूर-दराज से आए पर्यटकों और श्रद्धालुओं को भी मंत्रमुग्ध कर दिया।
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