बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार अखाड़ा परिषद ने उठाई बुलंद आवाज
बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर संत समाज में आक्रोश!
महंत रवींद्र पुरी जी का बयान:
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत श्री रवींद्र पुरी जी महाराज ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा,

“संत बड़े परमार्थी, शीतल जिनके अंग।
तपत भुजाएं और की, दे दे अपना रंग।”
महंत जी ने कहा कि जब एक संत को पीड़ा पहुंचती है, तो सभी संत उस पीड़ा को महसूस करते हैं। बांग्लादेश में संत चिन्मय महाराज पर हो रहे अत्याचार और सरकारी निष्क्रियता से सभी संतों में आक्रोश है।
संतों ने क्या मांगा?
- प्रस्ताव पारित:
संतों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करने का निर्णय लिया है। - गृह मंत्रालय तक पहुंचाने की योजना:
इस प्रस्ताव को भारत के गृह मंत्री तक पहुंचाया जाएगा। - सख्त कार्रवाई की मांग:
भारत सरकार से बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की गई है।
चिन्मय महाराज पर अत्याचार का विवरण
विवरण | स्थिति |
---|---|
संत का नाम | चिन्मय महाराज |
स्थान | बांग्लादेश |
समस्या | सरकारी निष्क्रियता, अत्याचार |
अखाड़ा परिषद का संदेश
महंत श्री रवींद्र पुरी जी ने कहा कि संत समाज हमेशा धर्म और मानवता के लिए खड़ा रहा है। बांग्लादेश में हिंदुओं की पीड़ा संत समाज के लिए असहनीय है। उन्होंने सभी भारतीय नागरिकों से अपील की कि वे इस विषय पर जागरूक हों और सरकार को इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित करें।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ अखाड़ा परिषद की यह पहल भारतीय संत समाज की एकजुटता और धार्मिक स्वतंत्रता की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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